
हरियाणा टू राजस्थान : बाबूजी धीरे चलना…
राष्ट्रीय राजमार्ग 709ई : महज 8 किलोमीटर में 24 स्पीड ब्रेकर
उत्तर भारत को राजस्थान से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 709ई पर सफर आरामदायक होने के बजाये कठिन हो गया है। इसका बाधा का कारण है इस मार्ग पर महज 8 किलोमीटर में बने 24 स्पीड ब्रेकर। ये ब्रेकर गाड़ी तोड़ साबित हो रहे हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर ट्रैफिक कम करने के लिए वर्ष 2005 में राष्ट्रीय राजमार्ग 709 बनाने का फैसला लिया गया था। यह मार्ग पानीपत से शुरू करके राजस्थान के पिलानी तक बनाने का फैसला हुआ। साथ ही इसमें से एक हाईवे, रोहतक, झज्जर, रेवाड़ी होते हुए एनएच-8 से भी जोड़ा गया।
राष्ट्रीय राजमार्ग 709 को रोहतक के बाद भिवानी, राजगढ़, पिलानी तक के लिए 709ई का नाम दिया गया। पहले कांग्रेस शासनकाल में केवल रोहतक से भिवानी आगमन के समय बार्डर तक ही इसे बनाया गया।
वर्ष 2014 में देश व प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग 709ई के भी दिन बदले और इसे भिवानी तक फोरलेन तथा भिवानी से लोहारू यानी के हरियाणा की सीमा तक 10 मीटर चौड़ा कर दिया गया। अभी रोहतक से भिवानी तक इस राष्ट्रीय राजमार्ग की विधिवत शुरुआत हुए कुछ ही समय हुआ था कि यहां गंभीर समस्या शुरू हो गई। रोहतक से भिवानी तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर साइड में 16 से अधिक स्पीड ब्रेकर बना दिये गए। भिवानी की सीमा गांव खरक से लेकर गांव बामला तक 8 किलोमीट क्षेत्र में एक साइड में 12 स्पीड ब्रेकर हैं और आने जाने के लिए देखा जाए तो कुल 24 स्पीड ब्रेकर बने हैं। रोहतक से भिवानी तक के 40 किलोमीटर लंबे मार्ग पर स्पीड ब्रेकर का सिलसिला गांव लाहली से शुरू होता है और रास्ते में खरड़ी मोड़, कलानोर मोड़, खरक, बामला, नोरंगाबाद और निनान हर जगह स्पीड ब्रेकर बने हुए हैं। इससे लगता ही नहीं कि यह राष्ट्रीय राजमार्ग है।
लगभग प्रत्येक 200 मीटर से 2 किलोमीटर के बीच बने ये स्पीड ब्रेकर गाड़ियों को आगे बढ़ने नहीं देते, बल्कि वाहनों के पहियों के एक्सएल टूटते हैं। ऐसे में लोगों का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग उनके लिए बड़ी परेशानी का सबब बन चुका है। राष्ट्रीय राजमार्ग का 11 किलोमीटर का हिस्सा, जो कि भिवानी शहर से गुजरता है, उसकी हालत भी खस्ता है। इस पर बने लगभग 200 गड्ढे हादसे का कारण बनते हैं। यहां ट्रैफिक जाम भी लगा रहता है।
भिवानी से लोहारू 60 किलोमीटर के इलाके में तो इस राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच में डिवाइडर नहीं है, जिससे आए दिन कोई न हादसा होता है। लोगों का कहना है कि भिवानी बाॅर्डर से लेकर राजस्थान बाॅर्डर तक के 114 किलोमीटर लंबे इस हाईवे पर चलना सिरदर्द बना हुआ है। टोल देेने के बावजूद लोगों को राष्ट्रीय राजमार्ग वाली सुविधाएं नहीं मिल रहीं।
कान पकड़े, फिर नहीं आएंगे इस राह
राजस्थान से पंजाब को जाने वाले ट्रक चालक कुलबीर सिंह का कहना है कि वे पहली बार इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर आये हैं, लेकिन स्पीड ब्रेकर व गड्ढों के चलते उन्होंने कानों को हाथ लगा लिया है कि वे दोबारा इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर नहीं। चाहे 50 किलोमीटर अतिरिक्त यात्रा करके किसी और राष्ट्रीय राजमार्ग से निकल जायेंगे।
आधा अधूरा आश्वासन
राष्ट्रीय राजमार्ग अधिकारियों के पास स्पीड ब्रेकर बनाये जाने को लेकर कोई ठोस तर्क नहीं है। इतना जरूर है कि उन्होंने भिवानी शहर से गुजरने वाले 11 किलोमीटर लंबे 709ई की मरम्मत की बात कही है। राष्ट्रीय राजमार्ग के कनिष्ठ अभियंता नारायण का कहना है कि शहर से गुजरने वाले मार्ग की मरम्मत का कार्य जल्द ही शुरू कर दिया जायेगा।
शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं
भिवानी शहर के सामाजिक कार्यकर्ता करण का कहना है कि भिवानी की सीमा में प्रवेश करते ही वाहन क्षतिग्रस्त होने का खतरा शुरू हो जाता है। स्पीड ब्रेकरों के खिलाफ उन्होंने तीन बार राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों को शिकायत भेजी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इन स्पीड ब्रेकरों से वाहनों को न केवल नुकसान हो रहा है, बल्कि बार-बार ब्रेक लगने से डीजल व पेट्रोल की खपत भी फालतू होती है।