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‘कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाल… दिया उछाल’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अडाणी समूह से जुड़े मामले पर विपक्षी दलों के आरोपों के बीच कहा कि उनके ऊपर जितना कीचड़ उछाला जाएगा, कमल उतना ही खिलेगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात कही। गौर हो कि ‘कमल’ भाजपा का चुनाव चिह्न है। अडाणी मामले में विपक्षी दल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठन की मांग कर रहे हैं। मोदी के अभिभाषण के बाद राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए, धन्यवाद प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए संशोधनों को खारिज कर दिया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 31 जनवरी को बजट सत्र की शुरुआत होने पर, लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था। लोकसभा में प्रस्ताव बुधवार को पास हो गया था।

राज्यसभा में बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री ने जैसे ही जवाब देना आरंभ किया वैसे ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, शिव सेना, आप सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट आ गए और नारेबाजी करने लगे। सदस्यों की नारेबाजी के बीच मोदी ने कहा, ‘कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाल। जो भी जिसके पास था, उसने दिया उछाल।’… अच्छा ही है। मोदी ने विपक्षी दलों पर तंज कसते हुए कहा कि इसलिए कमल खिलाने में उनका भी प्रत्यक्ष व परोक्ष योगदान है। प्रधानमंत्री ने करीब एक घंटा और 25 मिनट के अपने भाषण के दौरान सरकार की विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाओं की उपलब्धियां गिनाईं।

नेहरू सरनेम से डर क्यों

प्रधानमंत्री ने गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें यह बात समझ नहीं आती कि उनकी पीढ़ी का कोई व्यक्ति नेहरू उपनाम रखने से डरता क्यों है? उन्होंने कहा, ‘क्या शर्मिंदगी है उपनाम रखने में? इतना बड़ा महान व्यक्तित्व अगर आपको मंजूर नहीं है… परिवार को मंजूर नहीं है… और हमारा हिसाब मांगते रहते हो।’

ओपीएस पर बोले- अर्थ नीति को न बनाएं अनर्थ नीति

प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों के शासन वाले कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल किए जाने पर चिंता जताई और आर्थिक तंगहाली का सामना कर रहे पड़ोसी मुल्कों का हवाला देते हुए उन्हें ‘गलत रास्ते’ पर चलने से आगाह किया। उन्होंने कहा, ‘जिनको आर्थिक नीतियों की समझ नहीं है, सत्ता का खेल खेलना जिनके सार्वजनिक जीवन का काम है, उन्होंने अर्थ नीति को अनर्थ नीति में परिवर्तित कर दिया है।’ प्रधानमंत्री ने ऐसे राज्यों को चेतावनी देते हुए कहा कि वह अपने राज्यों को समझाएं कि वे गलत रास्ते पर ना चले जाएं। हालांकि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान ओपीएस का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा, ‘आज हमारे देश में तत्काल लाभ के लिए ऐसा किया जाएगा तो आने वाली पीढ़ियों को नुकसान होगा। ऐसा कोई पाप मत कीजिए जो आपके बच्चों के अधिकारों को छीन ले।’

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