
दशकों से इकहरी सड़क पर दौड़ता स्टेट हाईवे
ग्राउंड जीरो राजस्थान को वाया हिसार-पानीपत यूपी से जोड़ रहा मार्ग
राजस्थान को वाया हिसार-पानीपत उत्तर प्रदेश से जोड़ रहा सफीदों से गुजरता स्टेट हाईवे दशकों से बन और िबगड़ ही रहा है। स्टेट हाईवे पर रोजाना हजारों वाहन दौड़ते हैं, लेकिन इसकी चौड़ाई अभी तक सीिमत है। अब जींद से सफीदों तक इस स्टेट हाईवे को 3 मीटर चौड़ा करने का प्रस्ताव मंजूर हो चुका है, पर अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि लोकनिर्माण विभाग के अधिकारी इस कार्य के जल्द शुरू होने का दावा कर रहे हैं।
कभी पैदल आते-जाते थे इस रास्ते : बुजुर्ग बताते हैं कि एक समय यही रास्ता था, जहां से होकर उत्तर प्रदेश से राजस्थान के दूरवर्ती इलाकों तक पैदल आते-जाते थे। करीब 5 दशक पहले इस रास्ते पर सड़क निर्माण शुरू हुआ, तब यह रास्ता करीब चार-पांच फुट गहरा था जोकि बारिश के दिनों में नदी का रूप धारण कर लेता था। फिर इकहरी सड़क बनी तो इस पर बस को सफीदों से जींद तक जाने में करीब डेढ़ घंटे का समय लगता था, हालांकि अब वाहन एक सौ किलोमीटर की स्पीड तक फर्राटा भरते हैं और इस तरह सफर 30 मिनट का ही रह गया है। हाल-फिलहाल स्थिति यह है कि इस स्टेट हाईवे से खेल जारी है। यहां सड़क की जमीन पर अतिक्रमण हो जाए या फिर कोई सड़क के नीचे सिंचाई की पाइपलाइन दबा जाए, उसे कोई रोकने वाला नहीं होता। अनेक जगह खतरनाक मोड़ हैं, एक जगह तो पेड़ को बचाने के चक्कर में अधिकारियों ने सड़क में ही जोखिम खड़ा कर दिया। इस सड़क के अस्तित्व पर अब नया सवाल खड़ा हो गया है। जींद से सफीदों तक सड़क को 3 मीटर चौड़ा किये जाने का प्रस्ताव मंजूर हो चुका है।
सड़क के नीचे सीएनजी पाइपलाइन भी दब रही :सड़क पर डेढ़ मीटर की चौड़ाई में जहां सड़क निर्माण होना है, वहां एचपीसीएल ने सीएनजी पाइपलाइन दबा दी है। पाइपलाइन की मरम्मत को बार-बार अनेक जगह से खोदा जाता है। सड़क चौड़ी होने पर पाइपलाइन इसके नीचे दबेगी जिसकी लीकेज आदि को ठीक करने के लिए कम्पनी अनेक जगह से खोदाई कराएगी। वहीं पाइपलाइन दबी सड़क के ऊपर भारी वाहन दौड़ेंगे। यह तो बारूद के ढेर पर चलने जैसी बात होगी।
क्या कहते हैं अधिकारी
लोक निर्माण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विभाग ने अनापत्ति प्रमाणपत्र में एचपीसीएल को स्पष्ट किया था कि सड़क किनारे से 6 फुट के भीतर पाइपलाइन नहीं दबाई जाएगी। विभाग ने कंपनी को चिट्ठी भी लिखी लेकिन इसकी सुनवाई नहीं हो रही।
जब जमीन को लेकर छिड़ा था विवाद
सफीदों में पश्चिमी यमुना नहर की हांसी शाखा के ऊपर बने पुल के पास इस सड़क की जमीन पर दो दशक पूर्व विवाद छिड़ गया, जिसमें कई भूमालिकों ने दावा किया कि सड़क उनकी जमीन पर बनी है। वर्ष 1971 में इस सड़क के लिए अधिगृहीत हुई जमीन से जुड़ा मामला कोर्ट तक गया। आखिर में फैसला भूमालिकों के हक में हुआ और लोक निर्माण विभाग को सड़क की जमीन छोड़कर निशानदेही कराते हुए कुछ दूर अपनी जगह पर सड़क बनानी पड़ी। ऐसे में पुल भी दूसरी जगह दोबारा बना।