
कांग्रेस में ‘तेरे-मेरे’ का फेर, दिल्ली में सूचियों का ढेर
तंवर और सैलजा की तरह उदयभान भी नहीं बना पा रहे संगठन
पिछले 9 वर्षों से हरियाणा कांग्रेस बिना ‘सेनापतियों’ के चल रही है। इस अवधि में तीन प्रदेशाध्यक्ष बदले जा चुके हैं, लेकिन नहीं बदला तो कांग्रेस का ढर्रा। इस अवधि में 2014 और 2019 के लोकसभा व विधानसभा चुनावों के अलावा कई उपचुनाव और स्थानीय निकायों – नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिका तथा पंचायती राज संस्थाओं – जिला परिषद, ब्लाक समिति व ग्राम पंचायतों के चुनाव भी कांग्रेस बिना संगठन के ही लड़ चुकी है।
2014 के बाद से लगातार पार्टी को मिल रही हार के पीछे भी एक बड़ा कारण संगठन का नहीं होना है। चुनावी नतीजों में हार के बाद हुई समीक्षा बैठकों में भी यह बात सामने आ चुकी है, लेकिन ‘दिल्ली दरबार’ है कि सुनने को ही तैयार नहीं है। मौजूदा प्रधान चौ. उदयभान ने भी ब्लाक, जिला व प्रदेश पदाधिकारियों के संभावित नामों की सूची पार्टी नेतृत्व को भेजी हुई है, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व इस पर निर्णय लेने को राजी ही नहीं है। ऐसे में बहुत संभव है कि तीन निगमों – गुरुग्राम, फरीदाबाद और मानेसर के चुनाव भी कांग्रेस को बिना ‘सेनापतियों’ के ही लड़ने पड़ें।
कांग्रेसियों में ‘तेरे-मेरे’ को लेकर झगड़ा चल रहा है। हुड्डा खेमा चाहता है कि अधिकांश जिलों एवं ब्लाक में उनकी पसंद के प्रधान बनें। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा अपना शेयर मांग रही हैं। बताते हैं कि वे अंबाला व सिरसा पार्लियामेंट के अधिकांश जिलों एवं हलकों में अपनी पसंद के पदाधिकारी बनवाना चाहती हैं। उनकी ओर से करनाल और फरीदाबाद में भी दखल देने की सूचना है। कांग्रेस महासचिव व राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला कैथल, कुरुक्षेत्र और जींद में अपनी पसंद-नापसंद को तवज्जो देना चाहते हैं।
इस कड़ी में किरण चौधरी भी पीछे नहीं हैं। वे भिवानी पार्लियामेंट के अंतर्गत आने वाले भिवानी, महेंद्रगढ़ व चरखी दादरी जिलों में अपना वजूद बनाए रखना चाहती हैं। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव रेवाड़ी के साथ गुरुग्राम में भी अपनी पसंद के लिए लड़ रहे हैं। दरअसल, कैप्टन यादव गुरुग्राम पार्लियामेंट से चुनाव लड़ चुके हैं। रेवाड़ी से उनके पुत्र चिरंजीव राव विधायक हैं। सूत्रों का कहना है कि अधिकांश नेता अपनी-अपनी पसंद के नेताओं के नाम पार्टी नेतृत्व को दे चुके हैं।
दिल्ली दरबार में ब्लाक, जिला व प्रदेश कार्यकारिणी के अलावा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्यों के नामों की सूची जा चुकी है। यह सूची लम्बे समय से दिल्ली दरबार में ही लटकी हुई है। अब यह कारण नेतृत्व ही स्पष्ट कर सकता है कि पदाधिकारियों के नामों का ऐलान करने में देरी क्यों की जा रही है। कांग्रेस का 58वां राष्ट्रीय महाधिवेशन 24 से 26 फरवरी को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होगा। अधिवेशन में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव होना है। इसमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डेलीगेट्स के अलावा एआईसीसी सदस्यों द्वारा वोट डाले जाएंगे।
प्रदेश कांग्रेस द्वारा 195 डेलीगेट्स तो बनाए हुए हैं, लेकिन एआईसीसी सदस्यों के नामों का ऐलान अभी तक नहीं हुआ है। ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि अधिवेशन से पहले एआईसीसी सदस्यों की सूची जारी हो। यह सूची इसलिए भी जारी करना जरूरी हो गया है क्योंकि इन सभी को वोट डालने हैं। बहुत संभव है कि एआईसीसी सदस्यों की सूची अगले कुछ दिन में जारी हो जाए, लेकिन ब्लाक व जिला अध्यक्ष के अलावा प्रदेश कार्यकारिणी के गठन में अभी और भी देरी हो सकती है।
प्रभारी बदला, लेकिन हालात नहीं
कहने को तो कांग्रेस नेतृत्व ने पूर्व सीएम व विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को राज्य में ‘फ्री-हैंड’ दिया हुआ है, लेकिन स्थिति यह है कि चाहकर भी प्रदेशाध्यक्ष चौ. उदयभान पिछले 10 महीनों में अपनी टीम ही नहीं खड़ी कर पाए हैं। कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाने के बाद उदयभान को जब प्रदेश कांग्रेस की कमान दी थी तो उसी समय यह कहा गया था कि अब संगठन का भी जल्द गठन होगा। इस बीच हरियाणा मामलों के प्रभारी रहे विवेक बंसल को बदल कर उनकी जगह शक्ति सिंह गोहिल को भी नियुक्त किया जा चुका है। शक्ति सिंह गोहिल प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठकें भी कर चुके हैं।
तंवर ने भंग किया था संगठन
हुड्डा सरकार के दौरान फूलचंद मुलाना के हाथों में कांग्रेस की कमान थी। 14 फरवरी, 2014 को मुलाना को बदलकर उनकी जगह डॉ. अशोक तंवर को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया गया। तंवर ने कुछ दिनों बाद ही ब्लाक, जिला व प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया था। वे 4 सितंबर, 2019 तक अध्यक्ष रहे, लेकिन संगठन का गठन नहीं कर पाए। उनके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को राज्य का नेतृत्व सौंपा गया। सैलजा 27 अप्रैल, 2022 तक प्रदेशाध्यक्ष रहीं, लेकिन चाहकर भी अपनी टीम खड़ी नहीं कर पाईं।
मुझे लगता है संगठन गठन में अब किसी तरह की देरी नहीं है। हमारी ओर से ब्लाक, जिला व प्रदेश पदाधिकारियों को लेकर सभी प्रकार की प्रक्रियाएं पूरी की जा चुकी हैं। अब फैसला केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर होना है। पार्टी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त थे। लोकसभा का सैशन चल रहा और कांग्रेस का भी राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा है। मेरा मानना है कि इसके बाद संगठन का गठन कभी भी हो सकता है। यह कहना गलत है कि गुटबाजी की वजह से संगठन गठन रुका हुआ है। नेताओं में आपसी किसी तरह का विवाद नहीं है।
-चौ. उदयभान, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष