
सेक्टरों में 4 मंजिला निर्माण पर प्रदेशभर में जताई जा रही आपत्ति
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) के रिहायशी प्लॉटों पर स्टिल्ड पार्किंग के साथ चार मंजिला निर्माण का पूरे प्रदेश में विरोध हो रहा है। आम लोग ही नहीं बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा के मंत्री, सांसद और विधायक भी सरकार द्वारा 2017 में बनाए गए बिल्डिंग कोड का विरोध कर रहे हैं। इससे न केवल शहरों में सीवरेज व जलापूर्ति सिस्टम गड़बड़ा गया है बल्कि पड़ोस में रहने वाले लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं।
कहने को तो सरकार ने पंचकूला जिला में चार मंजिला की बजाय तीन मंजिला निर्माण के आदेश दे दिए हैं, लेकिन ये भी केवल प्रशासनिक आदेश हैं। बिल्डिंग कोड को बाकायदा कैबिनेट की मीटिंग में मंजूरी दी गई थी और इसके बाद ही नोटिफिकेशन जारी हुआ था। ऐसे में तकनीकी पेच यह है कि जब तक कैबिनेट इसमें फिर से बदलाव नहीं करती और नोटिफिकेशन जारी नहीं किया जाता, तब तक पंचकूला में फैसले को कानूनी रूप से लागू नहीं किया जा सकता।
हरियाणा स्टेट हूडा सेक्टर्स कॉन्फैडरेशन द्वारा चार मंजिला निर्माण के खिलाफ प्रदेशभर में हस्ताक्षर मुहिम भी चलाई जा रही है। पंचकूला में यह मुहिम काफी कारगर नजर आ रही है। यहां से विधायक व स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भी अपनी ही सरकार के फैसले से सहमत नहीं हैं। वे पहले भी एचएसवीपी के मुख्य प्रशासक को चिट्ठी लिखकर इस पर रोक लगाने के आदेश दे चुके हैं। उनकी चिट्ठी के बाद कुछ माह के लिए तो निर्माण रुक गया, लेकिन नियमों में बदलाव नहीं होने की वजह से फिर से निर्माण शुरू हो गया।
स्पीकर ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी मुलाकात कर अपनी नाराजगी जताई। सीएम के आदेश पर तय हुआ है कि पंचकूला में स्टिल्ड पार्किंग के साथ अब चार नहीं बल्कि तीन मंजिला तक ही निर्माण हो सकेगा। यह आदेश भी तब तक लागू नहीं हो सकते, जब तक के बिल्डिंग कोड में संशोधन नहीं हो जाता। 2017 में सरकार ने गवर्नमेंट बिल्डिंग कोड को मंजूरी दी थी और इसके बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया था। इससे पहले राज्य में 1982 के समय का बिल्डिंग कोड चल रहा था। तब बिल्डिंग कोड में प्लाट पर ढाई मंजिला तक निर्माण की ही मंजूरी थी। मकान के आगे और पीछे सवा पांच मीटर जगह छोड़ने के नियम भी पुराने कोड में थे। 2017 में हुए बदलावों में पहले स्टिल्ड पार्किंग के साथ ढाई मंजिला निर्माण को मंजूरी दी गई। आगे-पीछे के स्पेस को भी कम कर दिया। साथ ही, एफएआर में बढ़ोतरी की गई और ड्राई एरिया को खत्म कर दिया। इसके बाद नियमों में फिर से बदलाव करके स्टिल्ड पार्किंग के साथ चार मंजिला निर्माण को मंजूरी दे दी। पंचकूला, गुरुग्राम, फरीदाबाद, रोहतक सहित कई शहरों में स्टिल्ड पार्किंग के साथ तीन मंजिला निर्माण तेजी से हुए। सरकार यहीं नहीं रुकी। तीन माह बाद फिर नियमों में बदलाव करके स्टिल्ड पार्किंग के साथ चार मंजिला निर्माण को इजाजत दे दी गई।
इसलिए बढ़ रही लोगों की मुश्किलें
हूडा के अधिकांश सेक्टरों में लोगों ने बरसों से अपने मकान बनाए हुए हैं। बिल्डरों ने खाली प्लाटों और पुराने मकानों को खरीद कर स्टिल्ड पार्किंग के साथ चार मंजिला निर्माण शुरू कर दिए। पंचकूला में 250 वर्गगज साइज में बने एक फ्लोर का रेट सवा दो से ढाई करोड़ रुपये तक है। गुरुग्राम में इसकी कीमत और भी अधिक है। चार मंजिला निर्माण के चलते पड़ोसियों के मकानों में दरारें और नमी आनी शुरू हो गई। इसलिए लोगों ने इसका विरोध शुरू किया।
हूडा सेक्टर्स फेडरेशन ने कहा
‘हरियाणा सरकार लोगों की आंखों में धूल झोंक रही है और चार मंजिला निर्माण के खिलाफ चल रहे आंदोलन को तोड़ने की साजिश है। जब कैबिनेट ने पूरे प्रदेश में स्टिल्ड पार्किंग प्लस चार मंजिला निर्माण का निर्णय लिया था तो उसे अकेले पंचकूला के लिए नहीं बदला जा सकता। यह लड़ाई अकेले पंचकूला की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की है। लोगों ने अपनी खून-पसीने की कमाई से हूडा के सेक्टरों में प्लॉट खरीदे हैं। अब बिल्डर लॉबी हावी है। चार मंजिला निर्माण से पहले से बने मकानों में दरारें आ गई हैं। नमी की समस्या बनी रहती है। सीवरेज व पानी का सिस्टम पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। ऐसे में पंचकूला के लिए एक अधिकारी के आदेश जारी करने से काम नहीं रुकेगा। सरकार को बिल्डिंग कोड में बदलाव करना होगा और इसका नोटिफिकेशन जारी करना होगा।’