
टुंडा को बरी किए जाने के बाद पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल
23 साल तक सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने मामले की जांच की, विभिन्न जांच एजेंसियां लगाई गई, मीडिया ट्रायल किया गया। खूब हो हल्ला हुआ, अब्दुल करीम टुंडा को कुख्यात आतंकवादी बताते हुए, अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के आरोप लगाए गए लेकिन यह सब कहानी बन कर रहा गया। इस सब का कोई भी ठोस सबूत पुलिस अदालत में पेश नहीं कर पाई। लिहाजा 23 साल की जांच व अदालत में 69 पेशियों के बाद शुक्रवार को अब्दुल करीम टुंडा को जिला अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। अब्दुल करीम टुंडा वर्ष 1997 में शहर के सबसे व्यस्ततम इलाके पुरानी सब्जीमंडी और किला रोड पर हुए बम ब्लास्ट मामले में आरोपी था। इसके साथ ही यह मामला एक पहेली बनकर रह गया कि आखिर वर्ष 1997 में शहर में हुए बम धमाकों के पीछे कौन था। सवाल यह है कि अगर बम विस्फोट मामले में टुंडा भी दोषी नहीं था तो आखिर दोषी है कौन? इस मामले ने पुलिस प्रशासन की कार्रवाई को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। आखिर पुलिस ने इतना हो हल्ला क्यों मचाया था और फिर इतना कुख्यात आतंकवादी और पाकिस्तानी नागरिक था तो पुलिस आरोप क्यों नहीं सिद्ध कर पाई।