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‘पीए’ मायने पारिवारिक असिस्टेंट

एक ही पता-ठिकाना : पंजाब में कई विधायकों के सगे-संबंधी बने निजी सहायक

पंजाब की सियासत में कई जगह ‘पीए’ का मतलब ‘पारिवारिक असिस्टेंट’ हो गया है। लुधियाना (उत्तरी) से आम आदमी पार्टी के विधायक मदन लाल बग्गा ने अपना निजी सहायक (पीए) बनने का मौका अपने पुत्र गौरव खुराना को दिया है। बेशक सरकारी नियम ऐसा करने से नहीं रोकते, लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान हिदायत दे चुके हैं कि कोई विधायक व मंत्री अपने रिश्तेदार को अपने साथ तैनात न करे।

पंजाब विधानसभा से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, हलका बलाचौर से आप विधायक संतोष कुमारी कटारिया ने भी अपने पुत्र कर्णवीर कटारिया को ही अपना पीए बनाया हुआ है। इस बारे में विधायक कटारिया का कहना है कि उनका बेटा खुद आम आदमी पार्टी का वॉलंटियर है और काफी समय से पार्टी के लिए काम करता आ रहा है। उन्होंने अपनी तबीयत ठीक न रहने का तर्क भी दिया।

वहीं, विधायक मदन लाल बग्गा से बातचीत करने के लिए जब फोन मिलाया गया, तो फोन उनके बेटे गौरव ने ही उठाया। लेकिन, जैसे ही सवाल किये गये, तो उन्होंने फोट काट दिया और दोबारा नहीं उठाया। याद रहे कि बठिंडा (देहाती) से विधायक अमित रत्न के करीबी रशिम गर्ग को बीते दिनाें विजिलेंस ने रिश्वत के आराेप में पकड़ा है, उसके बाद पंजाब भर में नेताओं के पीए को लेकर एक चर्चा शुरू हो गयी है।

तलवंडी साबो से विधायक बलजिंदर कौर ने पीए के ताैर पर मानसा जिले के गांव घुरकणी के केवल सिंह को तैनात कर रखा है, जो रिश्ते में उनके चाचा (पिता के मामा का बेटा) लगते हैं। कई विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने दूसरे प्रदेशों से पीए लगा रखे हैं। आज़ाद विधायक राणा इंद्रप्रताप सिंह ने उत्तराखंड के जिला उधमसिंह नगर निवासी गुरतेज सिंह को अपना पीए बनाया हुआ है, जबकि उनके पिता एवं कांग्रेस विधायक राणा गुरजीत सिंह के पीए चंडीगढ़ के एसएस बिष्ट हैं। इसी प्रकार हलका साहनेवाल से अाप विधायक हरदीप सिंह के पीए गुरप्रीत सिंह हरियाणा के फरीदाबाद के रहने वाले हैं।

गौर हो कि पिछली सरकारों के दौर में भी कई विधायकाें ने अपने सगे-संबंधी निजी सहायक (पीए) के तौर पर तैनात कर रखे थे।

कई रखते हैं ‘डमी’

विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीरदविंदर सिंह का कहना है कि विधायक का पीए हलके और पार्टी में से होना चाहिये। उनका कहना है कि कई बार विधायक डमी पीए भी रख लेते हैं, जबकि हकीकत में यह काम कोई और कर रहा होता है। विधायकों को परिवारवाद से बचना चाहिये।

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