
प्रदेश सरकार जल संरक्षण की दिशा में कर रही सराहनीय कार्य : धुम्मन
गांव मथाना के 3 जोहड़ों का जीर्णोद्धार करके जोड़ा जाएगा चैतांग, राकसी नदी से
वर्तमान समय में बढ़ती आबादी के कारण पानी की उपलब्धता में तेजी से कमी होती जा रही है। अगर समय रहते जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होगी। इसी को देखते हुए हरियाणा सरकार द्वारा जल संरक्षण को लेकर कई योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की दूरगामी सोच के फलस्वरूप जल संरक्षण की दिशा में सराहनीय कार्य किया जा रहा है। ये उद्गार हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह ने गांव मथाना में ग्रामीणों से बातचीत करते हुए व्यक्त किए। इससे पहले उन्होंने गांव में स्थित 3 तालाबों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि इन तीनों तालाबों का जीर्णोद्धार करके इनको चैतांग व राकसी नदी के साथ जोड़ा जाएगा।
प्रदेश में कम होते भूजल स्तर और राज्य में पानी की मांग को देखते हुए जल संरक्षण के नये-नये तरीकों को अपनाया जा रहा है। अरावली व शिवालिक की पहाड़ियों में छोटे-छोटे झरनों के माध्यम से व्यर्थ बह रहे पानी को बांध बनाकर संरक्षित किया जा रहा है। तालाब, बावड़ी और झीलों के संरक्षण के लिए बारिश के पानी का संचय किया जाना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने व्यर्थ बह रहे पानी को बांध बनाकर संरक्षित कर वर्षा जल संचयन का बीड़ा उठाया है। उन्होंने कहा कि ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना भी जल संरक्षण में काफी अहम भूमिका निभा रही है। हरियाणा सरकार की इस अनूठी योजना के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। किसानों का रुझान धान जैसी अधिक पानी से तैयार होने वाली फसलों कs बजाय अन्य फसलों की ओर बढ़ा है।
वैकल्पिक फसलों को अपनाने पर किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है। खेत में तालाब निर्माण के लिए किसान को कुल खर्च पर 70 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी और उसे केवल 30 प्रतिशत राशि ही देनी होगी। इसी तरह 2 एचपी से 10 एचपी तक की क्षमता वाले सोलर पंप की स्थापना के लिए किसान को 25 प्रतिशत राशि देनी होगी और उसे 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी।