
बरसों तक ‘स्वर्ग’ जाती रही पेंशन, हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती
हरियाणा में मृतकों की पेंशन लेने सहित 14 हजार फर्जी मामले
पेंशन फर्जीवाड़े में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ा नोटिस लिया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग तथा पुलिस द्वारा अपनी जांच में इस घोटाले को अकेले कुरुक्षेत्र जिले तक सीमित करने पर हाईकोर्ट ने नाराज़गी जताई है। जस्टिस विनोद भारद्वाज ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) तथा एंटी करप्शन ब्यूरो के महानिदेशक को नोटिस जारी करके 12 सप्ताह में शपथ-पत्र दाखिल करने के आदेश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई 25 मई को होगी।
कुरुक्षेत्र निवासी और आरटीआई कार्यकर्ता राकेश बैंस ने अपने वकील प्रदीप रापड़िया के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पेंशन घोटाले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग की थी। हाईकोर्ट अब सरकार के जवाब का इंतजार करेगा और इसके बाद फैसला लिया जाएगा। बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की पहचान हुई है, जो फर्जी तरीके से पेंशन ले रहे थे।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि इस मामले में शामिल असली लोगों को बचाने की भी कोशिश पुलिस ने जांच में की है। ऐसे कई मामले सामने आए, जिनमें मृतक लोगों के नाम पर बरसों तक पेंशन जारी होती रही। फर्जी तरीके से भी पेंशन दिए जाने के केस हैं। लगभग 14 हजार के करीब ऐसे मामलों का जिक्र याचिका में किया गया है। ये मामले पूरे हरियाणा के हैं, लेकिन जांच को केवल कुरुक्षेत्र जिले तक की सीमित रखा गया।
कैग रिपोर्ट में पाया गया कि विभाग के कुछ अधिकारियों व पार्षदों ने मिलीभगत करके करोड़ों रुपये का पेंशन घोटाला किया है।
जिन पर लगे आरोप, उन्हें ही बना लिया सरकारी गवाह
इस पूरे मामले में सबसे रोचक पहलू यह है कि जिन पार्षदों और विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगे हैं, पुलिस ने जांच के दौरान उन्हें ही सरकारी गवाह बना लिया। वहीं शिकायतकर्ता को गवाहों की सूची से ही बाहर कर दिया। पेंशन गलत वितरण की गाज पुलिस ने सेवानिवृत्त सेवादार और क्लर्क पर गिरा दी ताकि पेंशन घोटाले को अंजाम देने के असली दोषियों को केस से ही बाहर किया जा सके।