
सरपंचों के साथ वार्ता फेल, जारी रहेगा बातचीत का दौर
ई-टेंडरिंग के विरोध में आंदोलन कर रहे सरपंचों के साथ सरकार ने बातचीत की शुरुआत कर दी है। इस कड़ी में सोमवार को विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने यहां हरियाणा निवास में सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ लम्बी बातचीत की। हालांकि बैठक बेनतीजा रही और सरपंच आखिर में सरकार को अल्टीमेटम देकर चले गए। अब गेंद सरकार के पाले में है।
कैबिनेट मंत्री को सरपंचों की मांगों पर फैसला लेने के लिए मंगलवार 12 बजे तक का समय दिया है। इस दौरान सरपंचों की मांगों को लेकर कैबिनेट मंत्री बबली मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से चर्चा करेंगे। अहम बात यह है कि बातचीत का दौर शुरू हुआ है और इसके आगे भी जारी रहने के संकेत मिले हैं। सरकार के इस फैसले को लेकर अंदरखाने भाजपा और जजपा के नेताओं द्वारा भी विरोध हो रहा है।
विपक्ष शुरू से ही ई-टेंडरिंग के खिलाफ है और पंचायती राज संस्थाओं – जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत तथा इनके प्रतिनिधियों को अधिकार देने की मांग की जा रही है। पहले सरपंचों के पास गांवों में 20 लाख रुपये तक के विकास कार्य करवाने के अधिकार थे। सरकार ने अब सरपंचों को दो लाख रुपये की पावर दी है। इससे अधिक के कार्य ई-टेंडरिंग के जरिये होंगे, लेकिन इसमें भी पंचायत प्रतिनिधियों का दखल रहेगा।
प्रशासनिक अनुमति के अधिकार पंचायत प्रतिनिधियों को दिए गए हैं। मंत्री के साथ बातचीत में विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनिल मलिक सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। मंत्री व अधिकारी बार-बार सरपंचों को ई-टेंडरिंग के फायदे समझाते रहे, लेकिन सरपंच सरकार के इस फैसले से सहमत नजर नहीं आए। आखिर में इस शर्त पर बातचीत खत्म हुई कि पंचायत मंत्री पंचायत प्रतिनिधियों की मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे। माना जा रहा है कि आजकल में ही मुख्यमंत्री के साथ बैठक संभव है। इस तरह के भी संकेत मिल रहे हैं कि सरकार अपने फैसले में थोड़ा बहुत बदलाव भी कर सकती है। हालांकि मुख्यमंत्री विधानसभा में भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि विकास कार्यों में पारदर्शिता के साथ किसी तरह का समझौता नहीं होगा। बैठक में सरपंचों ने मानदेय में बढ़ोतरी के अलावा करीब 10 मुद्दों को उठाया। अधिकांश पर फैसला अब मुख्यमंत्री के स्तर पर ही होगा।
अधिकारियों ने सरपंचों को कहा कि ई-टेंडरिंग से भ्रष्टाचार रुकेगा और विकास कार्यों में पारदर्शिता आएगी। इंजीनियरिंग विंग के अधिकारियों ने भी उन्हें काफी समझाने की कोशिश की। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने कहा कि सरपंचों के पिछले कई दिनों से फोन आ रहे थे कि कोई हल निकाला जाए। इसलिए यह बैठक बुलाई गई। सरपंचों की ओर से दस मांगें रखी गई हैं। उन्हें आश्वासन दिया है कि मुख्यमंत्री के सामने सभी मांगों को रखा जाएगा।
सरकार चलाने का काम हमारा…
बबली ने सरपंचों से अपील भी की है कि वे जनहित में लिए फैसले में सहयोग करें। ई-टेंडरिंग वापस लेने से जुड़े सवाल पर मंत्री ने कहा कि यह फैसला सरकार का रहेगा। इस बारे में जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात करूंगा। पंचायत मंत्री ने कहा कि मैंने किसी भी सरपंच के मान को ठेस नहीं पहुंचाई है और न ही गलत भाषा का इस्तेमाल किया है। अजय चौटाला और ओमप्रकाश धनखड़ द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर बबली ने कहा, ये संगठन के लोग हैं और संगठन चलाएं। सरकार चलाने का काम हमारा है, हम चुने हुए प्रतिनिधि हैं।