
फरीदाबाद नगर निगम घोटाले में अब जांच तेज हो सकेगी। प्रदेश सरकार ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को इस मामले में आईएएस व दूसरे अधिकारियों के खिलाफ इन्वेस्टिगेशन की मंजूरी दे दी है। इन्वेस्टिगेशन और इंक्वायरी के चक्कर में यह मामला उलझा हुआ था। ब्यूरो को इन्वेस्टिगेशन की मंजूरी मिलने के बाद अब आईएएस अधिकारी और नगर निगम की आयुक्त रह चुकी सोनल गोयल को भी जांच में शामिल होना पड़ेगा।
सोनल गोयल ने सितंबर-2022 में इंक्वायरी में शामिल होने की बजाय ब्यूरो की प्रक्रिया को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट से सोनल गोयल को राहत भी मिल गई थी। ब्यूरो ने 10 सितंबर, 2022 को सोनल गोयल को जांच में शामिल होने और बयान देने के लिए बुलाया था। इससे पहले ही वे हाईकोर्ट चली गई थीं। वहीं इस मामले में आईएएस मोहम्मद शाईन 11 सितंबर, 2022 को तथा अनिता यादव 12 सितंबर, 2022 में जांच में शामिल हो गई थीं। मोहम्मद शाईन और अनिता यादव भी फरीदाबाद नगर निगम में आयुक्त पद पर रह चुके हैं। सोनल गोयल ने एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई को यह कहते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी कि इंक्वायरी करने के अधिकार ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के पास हैं। पुलिस अधिकारी इन्वेस्टिेगशन कर सकते हैं, इंक्वायरी नहीं। हाईकोर्ट ने इस दलील के बाद ही सोनल को राहत देते हुए ब्यूरो को निर्देश दिए थे। सूत्रों का कहना है कि अब सरकार ने इन्वेस्टिगेशपन और इंक्वायरी को क्लीयर करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो को इन्वेस्टिगेशन करने की अनुमति दी है।
सूत्रों का कहना है कि इन तीनों आईएएस के अलावा एक और अधिकारी इस मामले में रडार पर रहेंगे। सरकार ने निगम के तत्कालीन संयुक्त निदेशक (ऑडिट), तत्कालीन रेजिडेंट सीनियर ऑडिटर, निगम के तत्कालीन अकाउंट्स ऑफिसर, अकाउंट ऑफिसर, अकाउंट ब्रांच अधीक्षक और क्लर्क के खिलाफ भी इन्वेस्टिेगशन की इजाजत दी है।