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गुजरात में प्रश्नपत्र लीक होने के बाद कनिष्ठ लिपिक परीक्षा रद्द, उम्मीदवारों का हंगामा; 15 आरोपी हिरासत में

12 वर्षों में 15वीं सरकारी प्रतियोगी परीक्षा है, जिसे प्रश्नपत्र लीक हो जाने के कारण रद्द किया गया : कांग्रेस

गुजरात में रविवार को होने वाली कनिष्ठ लिपिक की प्रतियोगी परीक्षा प्रश्नपत्र लीक हो जाने के कारण रद्द कर दी गई और पुलिस ने इस संबंध में वडोदरा से 15 आरोपियों को प्रश्नपत्र के साथ हिरासत में लिया है। राज्य पंचायत परीक्षा बोर्ड ने यह जानकारी दी। गुजरात में रविवार को 2,995 केंद्रों पर कनिष्ठ लिपिक की प्रतियोगी परीक्षा होनी थी। कुल 9.5 लाख अभ्यर्थियों ने 1,181 पदों पर भर्ती के वास्ते आयोजित की जा रही इस परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था। बोर्ड ने एक बयान में बताया कि एक गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने रविवार तड़के एक संदिग्ध को पकड़ा था और उसके पास से परीक्षा के प्रश्नपत्र की प्रति बरामद की, जिसके बाद गुजरात पंचायत सेवा चयन बोर्ड ने अभ्यर्थियों के व्यापक हित में परीक्षा ‘स्थगित करने’ का निर्णय लिया। इसके बाद आरोपियों की धरपकड़ शुरु हुई और 15 आरोपियों को दबोचा गया। बोर्ड ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है। उसने बयान में बताया, ‘‘कनिष्ठ लिपिक (प्रशासनिक/लेखा) परीक्षा 29 जनवरी को पूर्वाह्न 11 से 12 बजे के बीच विभिन्न जिलों में होनी थी। बोर्ड ने अभ्यर्थियों को हुई असुविधा के लिए खेद जताया और उनसे परीक्षा केंद्रों पर नहीं जाने की अपील की। उसने कहा, ‘‘परीक्षा जल्द से जल्द नए सिरे से आयोजित की जाएगी, जिसके लिए बोर्ड नया विज्ञापन जारी करेगा।”

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोसी ने दावा किया कि पिछले 12 वर्षों में यह 15वीं सरकारी प्रतियोगी परीक्षा है, जिसे प्रश्नपत्र लीक हो जाने के कारण रद्द किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सरकार कड़ी कार्रवाई करने का दावा करती है, लेकिन मुख्य अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है। सरकार राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ खेल रही है।” वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) की गुजरात इकाई के अध्यक्ष इसुदन गढ़वी ने भी प्रश्नपत्र लीक को लेकर ट्विटर पर राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधा। गुजरात में प्रतियोगिता परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने के कई मामले सामने आए हैं, जिसे लेकर युवाओं ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया था। पिछले महीने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार इस मुद्दे पर कांग्रेस और ‘आप’ के निशाने पर रही थी।

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