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साढ़े चार लाख लोगों के पेट पर ‘लापरवाही’ की लात

सफीदों घोटाला : 22 हजार क्विंटल गेहूं मानव उपभोग के नाकाबिल घोषित

सफीदों की अनाज मंडी में अप्रैल 2021 में केंद्रीय पूल के लिए खरीदा गया 22,230 क्विंटल गेहूं एक साल में इतना खराब हो गया कि यह खाने लायक नहीं बचा है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) ने इसे ‘मानव उपभोग के नाकाबिल’ घोषित कर दिया है। अब यह गेहूं मवेशियों-मुर्गियों की खुराक और भट्टियों का ईंधन बन जाएगा। इसका कुछ हिस्सा तो इतना सड़ चुका है कि वह मवेशियों के लायक भी नहीं है। उसे जमीन में दबाया जाएगा।जन वितरण प्रणाली के तहत हरियाणा में बीपीएल राशन कार्ड पर हर माह 5 किलो गेहूं प्रति व्यक्ति दिया जा रहा है। यदि यह पूरा गेहूं सलामत रहता तो गरीब परिवारों के 4,44,700 लोगों को एक माह का राशन दिया जा सकता था। या यूं कहें कि 37058 लोगों का सालभर इस गेहूं से पेट भर सकता था।यह गेहूं सफीदों में हरियाणा वेयरहाउसिंग काॅरपोरेशन द्वारा खरीदकर यहां रत्ताखेड़ा गांव के समीप गोदाम में स्टोर किया गया था। इसके रखरखाव में गंभीर हेराफेरियों के मामले में वेयरहाउसिंग काॅरपोरेशन की जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह माना है कि किसी पक्के गोदाम में इतनी छोटी अवधि में, इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं का इस कदर खराब होना संभव नहीं है। एफसीआई प्रशासन का भी यही सवाल है। विभागीय जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह आशंका जताई है कि खराब गेहूं बाहर से लाकर गोदाम में रखा गया है। इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। ‘दैनिक ट्रिब्यून’ ने 13 मई 2022 के अंक में इस मामले को उठाया था। इसके बाद वेयरहाउसिंग काॅरपोरेशन ने छंटाई कराई तो बड़ी मात्रा में गेहूं खराब मिला। वेयरहाउसिंग कारपोरेशन ने खराब गेहूं को कैटेगराइज कराने के लिए एफसीआई को लिखा। लेकिन एफसीआई ने यह कहते हुए कैटेगराइजेशन से इनकार कर दिया था कि पहले गेहूं खराब होने का कारण व जिम्मेदार कर्मचारियों, अधिकारियों पर की गई कार्रवाई के बारे में उसे सूचित किया जाए। काॅरपोरेशन मुख्यालय ने कार्रवाई का आश्वासन दिया तो एफसीआई के जिला प्रबंधक केशव मीणा ने कैटेगराइजेशन कराई। एफसीआई के गुणवत्ता अधिकारी मनीष कुमार ने बताया कि गोदाम के कुल 22,230 क्विंटल गेहूं को ‘मानव उपभोग के नाकाबिल’ पाया गया है। इसे केंद्रीय पूल से बाहर करके इसकी तीन श्रेणियां बनाई गई हैं। इसमें 20269.5 क्विंटल गेहूं को प्रथम श्रेणी का फीड, 1777 क्विंटल गेहूं को द्वितीय श्रेणी का फीड व 98.5 क्विंटल गेहूं को तृतीय श्रेणी का फीड निर्धारित किया गया है, जबकि अत्यंत खराब 90 क्विंटल गेहूं को जमीन में दबाने का निर्देश दिया गया है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि इसके लिए जिम्मेदार कर्मचारियों, अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

हरियाणा वेयरहाउसिंग काॅरपोरेशन सफीदों के प्रबंधक जगदीश कुमार ने बताया कि 90 क्विंटल को जमीन में दबाने का निर्देश मिल गये हैं। शेष श्रेणियों के गेहूं को नीलाम किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रथम श्रेणी का गेहूं आमतौर पर कैटल फीड में काम आता है। द्वितीय श्रेणी का गेहूं पोल्ट्री फीड में इस्तेमाल होता है। तृतीय श्रेणी का गेहूं बायलर या भट्टियों में जलाने के काम में लिया जाता है।

टिप्पणी के लिए वेयरहाउसिंग काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक डाॅक्टर शालीन किसी बैठक में व्यस्त बताए गए। मुख्यालय में प्रबंधक (स्टॉक एवं टेक्निकल) संदीप कुमार ने इस मामले में बात नहीं की।

सुरक्षा एजेंसी पर दर्ज है चोरी का केस

सफीदों के गोदाम में 1800.5 क्विंटल गेहूं कम मिला था। इस मामले में गोदामों की सुरक्षा में तैनात एपी सिक्योरिटीज के खिलाफ पिछले साल 18 नवंबर को चोरी का मामला दर्ज किया गया था, लेकिन इसे लेकर अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं। सुरक्षा एजेंसी के शाखा प्रबंधक चांद दलाल का कहना है कि गोदाम के चैंबरों की चाबी प्रबंधक के पास रहती है, सुरक्षा कर्मी हेराफेरी कैसे कर सकते हैं।

हेराफेरी की चल रही जांच

वेयरहाउसिंग काॅरपोरेशन के टेक्निकल असिस्टेंट सुमित कुमार पिछले कई साल से इस गोदाम के प्रबंधक थे। मार्च 2022 में उन्हें पदोन्नत करके भिवानी में जिला प्रबंधक लगा दिया गया। इसके बाद ही इस गेहूं घोटाले का पर्दाफाश हुआ। नये प्रबंधक जगदीश कुमार ने गेहूं के स्टॉक का चार्ज लेने से इनकार कर दिया था। साथ ही उन्हाेंने मुख्यालय को लिख दिया था कि वे इस मामले में तनाव में हैं और उनके साथ कुछ भी अप्रिय हो सकता है। सुमीत कुमार का कहना है कि वे तो गोदामकीपर मंजू को सब ठीक-ठाक सौंपकर गए थे। अब वेयरहाउसिंग काॅरपोरेशन मुख्यालय इस हेराफेरी की जांच में लगा है। शनिवार को जांच के लिए पंचकूला से टीम सफीदों आई थी।

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