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घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत निर्यात के मोर्चे पर चुनौती

आर्थिक समीक्षा : अगले वित्त वर्ष वृद्धि दर 6 से 6.8% रहने का अनुमान

देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष (2023-24) में कुछ धीमी पड़कर 6 से 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसका एक बड़ा कारण वैश्विक स्तर पर विभिन्न चुनौतियों से निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। हालांकि इसके बावजूद भारत दुनिया में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाला देश बना रहेगा। अर्थव्यवस्था की स्थिति बताने वाली आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने से एक दिन पहले मंगलवार को संसद में 2022-23 की आर्थिक समीक्षा पेश की। देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का यह अनुमान अंतर्राष्ट्रीशय मुद्राकोष के 6.1 प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा है। समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। समीक्षा में कहा गया है कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा है। यह उसके संतोषजनक स्तर की ऊपरी सीमा से अधिक है। लेकिन यह दर इतनी ऊंची नहीं है कि निजी खपत को प्रभावित करे।

भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार

समीक्षा तैयार करने वाले मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि सरकार के सुधारों के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार है और इस दशक की शेष अवधि में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि जिंसों के दाम के स्तर पर अनिश्चितता और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव प्रमुख चुनौतियां हैं।

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