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7 लाख तक की आय टैक्स फ्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले अपने अंतिम पूर्ण बजट में मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को टैक्स मोर्चे पर राहत दी है। नयी कर व्यवस्था चुनने वालों को अब 7 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। हालांकि, निवेश और आवास भत्ता जैसी छूट वाली पुरानी टैक्स व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है। वर्तमान में 5 लाख रुपये तक की आय वालों को पुरानी और नयी, दोनों टैक्स व्यवस्था में आयकर नहीं देना पड़ता है।

वित्त मंत्री ने नयी टैक्स व्यवस्था के तहत वेतन भोगी व्यक्ति को 50 हजार रुपये की मानक कटौती के लाभ का भी प्रस्ताव किया। इसके साथ ही मूल आयकर छूट सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये और स्लैबों की संख्या 6 से घटाकर 5 कर दी गई है। कुल मिलाकर इस पहल का मकसद नौकरीपेशा लोगों को नयी कर व्यवस्था अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना है। पुरानी कर व्यवस्था में मूल आयकर छूट सीमा 2.5 लाख रुपये है।

वित्त मंत्री ने नयी कर व्यवस्था को ‘डिफॉल्ट’ बनाने का प्रस्ताव किया है। आयकर विशेषज्ञ सत्येन्द्र जैन के अनुसार, ‘इसका मतलब है कि अगर आपने आयकर रिटर्न में विकल्प नहीं चुना है, तो आप स्वत: नयी कर व्यवस्था में चले जाएंगे।’

सरकार 2020-21 के बजट में वैकल्पिक कर व्यवस्था लेकर आई थी। इसके तहत व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार को कम दर से टैक्स लगता है, लेकिन आवास भत्ता, होम लोन के ब्याज, 80सी, 80डी और 80सीसीडी के तहत कोई छूट या अन्य कटौती का लाभ नहीं मिलता। हालांकि, नयी कर व्यवस्था की ओर लोग आकर्षित नहीं हुए।

करदाताओं को होगा लाभ : सीतारमण

वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट भाषण में कहा, ‘नयी कर व्यवस्था में बदलाव से करदाताओं को लाभ होगा। अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय 9 लाख रुपये है, तो उसे अब 45,000 रुपये ही कर देना होगा, जो पहले 60,000 रुपये बनता था। इसी प्रकार, किसी व्यक्ति की आय अगर 15 लाख रुपये सालाना है, उसे केवल 1.5 लाख रुपये या अपनी आय का केवल 10 प्रतिशत ही कर देना होगा। उन्होंने कहा कि यह नयी कर व्यवस्था के मौजूदा स्वरूप के तहत बनने वाले 1,87,500 रुपये से करीब 20 प्रतिशत कम है।

रुपया : कहां से आएगा

  • प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष करों से 58 पैसे
  • कर्ज, अन्य करों से 34 पैसे
  • विनिवेश जैसे गैर-कर राजस्व से 6 पैसे
  • गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों से 2 पैसे
  • कहां जाएगा
  • कर्ज पर ब्याज अदायगी 20 पैसे
  • करों-शुल्कों में राज्यों का हिस्सा 18 पैसे
  • रक्षा के लिए आवंटन 8 पैसे
  • केंद्रीय योजनाओं पर व्यय 17 पैसे
  • केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के लिए 9 पैसे
  • वित्त आयोग और अन्य अंतरण 9 पैसे
  • आर्थिक सहायता 7 पैसे
  • पेंशन 4 पैसे और अन्य 8 पैसे

 

 

 

 

 

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